पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥ तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ थोड़ा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में बांट दें। देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ Good https://shiv-chalisa-lyrics-in-ma41578.wikiparticularization.com/947000/the_5_second_trick_for_lyrics_of_shiv_chalisa